सोमवार, 2 मार्च 2015

आल्हा-ऊदल

"बुंदेलखंड की सुनो कहानी बुंदेलों की बानी में !
पानीदार यहां का घोडा, आग यहां के पानी में !!

आल्हा-ऊदल गढ महुबे के, दिल्ली का चौहान धनी !
जियत जिंदगी इन दोनों में तीर कमानें रहीं तनी !!

बाण लौट गा शब्दभेद का, दाग लगा चौहानी में
पानीदार यहां का पानी, आग यहां के पानी में"

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