राव सीहा जी राजस्थान में स्वतंत्र राठौड़ राज्य के संस्थापक थे | राव सीहा जी के वीर वंशज अपने शौर्य, वीरता एवं पराक्रम व तलवार के धनी रहे है |मारवाड़ में राव सीहा जी द्वारा राठौड़ साम्राज्य का विस्तार करने में उनके वंशजो में राव धुहड़ जी , राजपाल जी , जालन सिंह जी ,राव छाडा जी , राव तीड़ा जी , खीम करण जी ,राव वीरम दे , राव चुडा जी , राव रिदमल जी , राव जोधा , बीका , बीदा, दूदा , कानध्ल , मालदेव का विशेष क्रमबद्ध योगदान रहा है | इनके वंशजों में दुर्गादास व अमर सिंह जैसे इतिहास प्रसिद्ध व्यक्ति हुए| राव सिहा सेतराम जी के आठ पुत्रों में सबसे बड़े थे| !
चेतराम सम्राट के, पुत्र अस्ट महावीर !
जिसमे सिहों जेस्ठ सूत , महारथी रणधीर ||
राव सिहाँ जी सं. 1268 के लगभग पुष्कर की तीर्थ यात्रा के समय मारवाड़ आये थे उस मारवाड़ की जनता मीणों, मेरों आदि की लूटपाट से पीड़ित थी , राव सिहा के आगमन की सूचना पर पाली नगर के पालीवाल ब्राहमण अपने मुखिया जसोधर के साथ सिहा जी मिलकर पाली नगर को लूटपाट व अत्याचारों से मुक्त करने की प्रार्थना की| अपनी तीर्थ यात्रा से लौटने के बाद राव सिहा जी ने भाइयों व फलोदी के जगमाल की सहायता से पाली में हो रहे अत्याचारों पर काबू पा लिया एवं वहां शांति व शासन व्यवस्था कायम की, जिससे पाली नगर की व्यापारिक उन्नति होने लगी|
आठों में सिहाँ बड़ा ,देव गरुड़ है साथ |
बनकर छोडिया कन्नोज में ,पाली मारा हाथ ||
पाली के अलावा भीनमाल के शासक के अत्याचारों की जनता की शिकायत पर जनता को अत्याचारों से मुक्त कराया |
भीनमाल लिधी भडे,सिहे साल बजाय|
दत दीन्हो सत सग्रहियो, ओ जस कठे न जाय||
पाली व भीनमाल में राठौड़ राज्य स्थापित करने के बाद सिहा जी ने खेड़ पर आक्रमण कर विजय कर लिया| इसी दौरान शाही सेना ने अचानक पाली पर हमला कर लूटपाट शुरू करदी ,हमले की सूचना मिलते ही सिहा जी पाली से 18 KM दूर बिठू गावं में शाही सेना के खिलाफ आ डटे, और मुस्लिम सेना को खधेड दिया| वि. सं . 1330 कार्तिक कृष्ण दवादशी सोमवार को करीब 80 वर्ष की उमर में सिहा जी स्वर्गवास हुआ व उनकी सोलंकी रानी पार्वती इनके साथ सती हुई | सिहाजी की रानी (पाटन के शासक जय सिंह सोलंकी की पुत्री )से बड़े पुत्र आस्थान जी हुए जो पिता के बाद मारवाड़ के शासक बने | राव सिहं जी राजस्थान में राठौड़ राज्य की नीवं डालने वाले पहले व्यक्ति थे |
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