बुधवार, 2 सितंबर 2015

चौहान बलवंत सिँह बाखासर

(कहानी एक सच्चे देश प्रेमी धर्मपरायण जिंदा शेर दिल राजपूत की )

भारत की आजादी के बाद 60-70वे दशक मे पश्चिमी राजस्थान के लिए एक जाना पहचाना नाम था बलवँत सिँह बाखासर!

गुजरात राजस्थान के सरकारी महकमे व पुलिस विभाग के लिए डकैत लेकिन बाडमेर साँचोर ओर उत्तरी गुजरात के वाव थराद सीमावर्ती गाँवो के लिए वे आधुनिक राबिन हुड समान थे
बलवंत सिंह का जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिला के गांव बाखासर में चौहानो की नाडोला उप शाखा में हुआ आपकी शादी कच्छ गुजरात के विजेपासर गाव में जाडेजा राजपूतो के यहाँ हुयी आपका बचपन राजस्थान गुजरात और पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रो में गुजरा ये पूरी तरह यहाँ के सीमावर्ती क्षेत्रो को लेकर वाकिफ थे वक़्त के साथ बलवंत सिंह ने हथियार उठा दिए

आजादी के बाद पाकिस्तान के सिँधी मुस्लिमो का सीमावर्ती क्षेत्रो मे आतँक था उस वक़्त बॉर्डर खुला होने की वजह से सिँधी मुस्लिम आये दिन भारतीय सीमा में आकर लूट पाठ करने लगे इधर बलवंत सिंह बाखासर सरकारी खजाना व लुटेरो को लूट कर सारा धन गरीबो में बाँट देते थे ग्रामीणों की हर सम्भव मदद करते सरकारी महकमा इनके नाम तक से डरता था पुरे क्षेत्र के लोग जी जान देने को तैयार रहते और ये पुरे 100 किमी क्षेत्र के आधुनिक रोबिंन हुड बन चुके थे और लोगो में किसके फरिश्ते से कम न थे पाकिस्तान से आने वाले लूटेरे भी इनसे नाम से थर्राने लगते थे जिस गाव में ये रात गुजरते वहा का सारा प्रबन्ध ग्रामीण करते धीरे धीरे बलवंत सिंह बाखासर का नाम बढ़ता गया

बलवँत सिँह बाखासर देश में पहली बार चर्चा मे तब आए जब मीठी पाकिस्थान के सिन्धी मुसलमाँन एक साथ 100 गायो लेकर पाकिस्तान जा रहे थे जैसे ही इसकी खबर बलवंत सिंह जी को मिली फिर क्या था उसी क्षण अपने घोड़े पर सवार होकर बलँवत सिँह डाकुओ का पीछा करने निकले अकेले मुकाबला करते हुए 8 सिँधीयो को ढेर कर दिया ओर सभी गाय छुडवा लाए

बाड़मेर के चौहटन के नेता अब्दुल हादी जो 7 बार विधायक मंत्री रहे उनके बड़े भाई मोहम्मद हुसैन पर तस्करी लूट के संगीन आरोप लगे इन्हें भी बलवंत सिंह ने मार गिराया वही मोहम्मद हयात खान नाम के लूटेरे को भी बाड़मेर में लंबी नींद सुलाया
अब्दुल हादी से इनका मन मुटाव हो गया था तब कांग्रेस सरकार आते थे अब्दुल हादी और जाट नेता नाथूराम मिर्धा दोनों ने मिलकर इनको पकड़वाने की साजिश रची

1971 भारत पाक के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण थे 71 युद्ध मे ईनकी अहम भूमिका रही, हमारे सैनिको में ज्यादातर बाहरी और रेगिस्तान के खतरों से अनजान थे बलवंत सिंह पाक सीमा से अच्छी तरह वाकिफ थे और काफी लोकप्रिय हो गए थे उस वक़्त लेफ्टीनेंट भवानी सिंह जी ने सूझ भुझ से काम लिया आखिर में देश हित में लेफ्टिनेँट महाराजा भवानी सिँह जयपुर ने इनको सेना की एक बटालियन और 4 जोन्गा जीपे तक सौँप दी थी पूरी बटालियन की अगुवाई इन्ही बलवंत सिंह बाखासर ने की और अपने धैर्य और सूझबुझ से भारतीय सेना को पाक के भीतर तक ले गए और नतिजा रहा की सुबह के 3 बजे पाकिस्तान के सिंध सूबे के छाछरो कस्बे पर कब्जा करने मे सफलता मिली और पाकिस्थान के 100 गावो पर कब्ज़ा हुआ सारे ठाणे भारतीय सेना के कब्जे में आ गए
भारतिय सैनिको को तब बड़ा ताज्जुब हुआ जब पाकिस्तान ग्रामीण आंचल के लोग सिर्फ बलवंत सिंह बाखासर को देखने के लिए कई किलोमीटर दूर से पैदल आये

इनकी देशभक्ति ओर वीरता से प्रभावित प्रसन्न होकर भारत सरकार ने इन पर लगाए सारे डकेती के केस वापस ले लिए थे

अभी इनके पोत्र रतन सिंह जी बाखासर अहमदाबाद में रह रहे है

इसकी लोकप्रियता का अंदाजा डिंगल भाषा में इन पर गीत तक लिखे गए है

सांचोर में लगने वाले मेले को भय मुक्त बनाने के लिए ये अपने ऊठ पर बैठ खुद निगरानी भी करते थे

राजस्थान ,गुजरात,कच्छ और रण क्षेत्र इनकी वीरता के वीर रस भजन आज तक गाए जाते है

Thakur Balwant Singh Bakhasar was the feudal of Bakhasar in Barmer district who turned a dacoit later allegedly for his honour. The areas of his operation and influence were bordering areas of Barmer district, Sanchore in Rajasthan, Vav, Tharad in Gujarat and areas of Sindh in Pakistan. He was a Rajput from the Chauhan clan.

In the 1971 war with Pakistan Balwant Singh Bakhasar, with his close associates helped and guided the Commandos of Indian Army to capture various parts of Sindh. The elite Indian Para Commandos under the command of Lt.Col.His Highness Sawai Bhawani Singh of Jaipur attacked Chachro town in Pakistan at about 3 AM on 7 December 1971. The force was divided in two groups mounted on 4wd Jonga Jeeps with MMGs and loaded with supplies. The Indian Commandos captured Chachro by day light taking 17 prisoners. Later, they attacked Virawah and captured it after dealing with the LMG position. After success in capturing the towns, the groups ex filtrated to India via Bakhasar where they were fired upon by BSF post however the confusion was later sorted out.

Note - आप सभी को बता देते है 1971 में पाकिस्तान से हुयी जंग में राजस्थान पाकिस्तान बॉर्डर के काफी राजपूत सक्रिए हुए थे और हर घर में बंदूको कि सफाई शुरू कर दी गयी थी और सेना को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयता कि थी … राजस्थान का बॉर्डर राजपूत बाहुल्य है और राजपूत किसी भी संदिग्ध गतिविधि होते है जल्दी अलर्ट हो जाते है और सेना को सारी जानकारी मिल जाती है पाकिस्तान से लगती सीमा से 3 राजपूत विधायक है जिसमे में से 2 RSS से है जैसलमेर विधायक छोटू सिंह जी भाटी, पोखरण विधायक शैतान सिंह जी व शिव विधायक मेजर मानवेन्द्र सिंह जी

इस राजपूत बाहुल्य सीमा पर कभी दंगे घुसपैठ की खबरे नही मिलती जबकि सबसे ज्यादा पाकिस्तान का बॉर्डर लगभग 700 किमी यही राजस्थान से लगता है

®Rajputana Soch राजपुताना सोच और क्षत्रिय इतिहास©

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