एक बार मारवाड़ के शासक राव जोधा के दरबार में उनके पुत्र राव बीका और भाई कांधल जी आपस में बतिया रहे थे तो राव जोधा ने तंज कसा कि दोनों चाचा भतीजे ऐसे बतिया रहे हैं मानो कोई नया राज्य कायम करने की सलाह कर रहे हों।
बस यही तंज दोनों चाचा भतीजो को चुभ गया और नया राज्य बनाने का प्रण लिए ये दोनों निकल पडे।
राव बीका जी ,चाचा राव कांधल भाई बिदा जी नापा सांखला,100 घुड़सवार और 300 पैदल सैनिक उनके साथ हो गए।
उस समय बीकानेर को जांगलू प्रदेश या जांगलदेश कहा जाता था।इस प्रदेश में जोहिया योधेय राजपूतो, खींची चौहान,सांखला परमार,भाटी राजपूतो के अलग अंलग राज्य थे।और करीब 600 गाँवो पर गोदारा जाटों और पूनिया जाटों का गणतंत्रीय राज था।
इस इलाके पर बलूच मुसलमानो के लगातार हमले हो रहे थे और ये सब अलग अलग होकर उनका मुकाबला नही कर पा रहे थे।ऐसा लग रहा था मानो ये पूरा इलाका ब्लूचो के हाथ लग जाएगा।
मगर तभी नारायण की भाँति इस क्षेत्र में राव बीका जी राठौड़ का आगमन हुआ और उन्होंने इन सब राज्यो और जातियों को साम दाम दण्ड भेद शक्ति की निति से अपने अधीन किया यहाँ एक प्रबल राठौड़ राज्य की नीव रखी।
जिससे सदा के लिए यह क्षेत्र मुसलमानो के चंगुल में जाने से बच गया।
चन्द माह में ही सिर्फ 100 घुड़सवार और 300 सैनिक लेकर राव बीका ने चन्द महीनो में 3000 गांव का बड़ा साम्राज्य बना लिया। बाद में अपने पिता राव जोधा के मरने के बाद इन्होंने जोधपुर पर भी हमला किया और बड़ा पुत्र होने के हक के लिए उत्तराधिकार के अवशेस लेकर वापस आये।फिर इन्होंने लाङनु द्रोणपुर छापुर पर भी अधिकार कर लिया और इनके राज्य की सीमा पंजाब से जा लगी।
पाण्डु गोदारा जाट को हराकर इन्होंने अपने अधीन किया और बाद में पाण्डु गोदारा इनका सहयोगी बन गया।आज बीकानेर राजा का राजतिलक इसी पाण्डु गोदारा के वंशज करते है।
राव बीका जी वाकई में नायक हैं।अगर उस समय बीकानेर राज्य न स्थापित होता तो ये पूरा इलाका बलूची मुस्लिम वर्चस्व का हो जाता।और आज ये बड़ा हिस्सा बीकानेर गंगानगर हनुमानगढ़ सब पाकिस्तान का हिस्सा होता।
सुमित राणा
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