शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

महारावल विरमदेव चौहान

"क्या जीना क्या मरना अरे ये तो है निर्थक बात पलक झपकते मर जाऐँगे फिर जिऐँगे प्रभात!!! "
  
   मित्रो राजस्थान का इतिहास शोर्य और बलिदानी गाथाओ से भरा है राजस्थान मे जहाँ भी जाऐँगे आपको विरो कि गाथाए सूनने को मिलेगी ऐसे स्थलो मे से एक है जालोर का स्वर्णगिरी दुर्ग जो देश भर मे अभेध दुर्गो मे गिना जाता है
"आभ फटे धर उलटे कटे बखत रा कोर सिर कटे धर लडपडे जद छूटे जालोर "
12 वीँ शताब्दी के अँतिम वर्षो मे जालोर दुर्ग पर चौहान राजा कान्हडदेव का शासन था इनका पुत्र कूँवर विरमदेव चौहान समस्त राजपूताना मे कुश्ती का प्रसिद्ध पहलवान था एवँ कूशल यौद्धा था छोटी आयू मे भी कई यूद्धो मे कुशल सैन्य सँचालन कर अपनी सैना को विजय दिलाई थी विरमदेव कि ख्याति सुनकर उसके प्रभावशाली व्यक्तित्व को देख कर दिल्ली के बादशाह अल्लाउदिन खिलजी कि बेटी शहजादी फिरोजा(सताई) का दिल विरमदेव पर आ गया तथा शहजादी ने किसी भी किमत पर विरमदेव से विवाह करने तथा अपनाने कि जिद पकड ली "वर वरुँ तो विरमदेव ना तो रहुँगी अकन कूँवारी " शहजादी कि हठ सूनकर दिल्ली दरबार मे कौहराम मच गया काफी सोच विचार के बाद अपना राजनैतिक फायदा देख बादशाह खिलजी इसके लिए तैयार हुआ शादी का प्रस्ताव जालोर दुर्ग पहुँचाया गया मगर विरमदेव ने तूरँत प्रस्ताव ठुकरा दिया और कहा "मामा लाजै भाटियाँ कूल लाजै चौह्वान जौ मे परणुँ तुरकाणी तो पश्चिम उगे भान" परिणामत युद्ध का ऐलान हुआ लगभग एक वर्ष तक तुर्को कि सैना जालोर पर घेरा लगाए बैठी रही फिर युद्ध प्रारँभ हुआ मात्र 22 वर्ष कि अल्पायू मे खुद विरमदेव केसरिया बाना पहन कर सबसे आगे सैना का नैतृत्व कर रहा था और इस भयँकर यूद्ध मे विरमदेव विरगति को प्राप्त हो गया तूर्कि सैना विरमदेव का सिर दिल्ली ले गयी तथा शहजादी के सामने रख दिया जब शहजादी ने मस्तक को थाली मे रखवाया और मस्तक से शादी करने की बात कही तो मस्तक अपने आप थाली से पलट गया लेकिन शहजादी भी अपने वादे पर अडीग थी शादी करुँगी तो विरमदेव से वर्ना कूँवारी मर जाऊँगी अतँत शहजादी मस्तक को अपने हाथ मे लेकर यमूना नदी मे कूद कर विरमदेव के पिछे सती हो गयी".................विरमदेव ने अपना कर्तव्य निभाया और एक हिन्दू होने के नाते मरने को तैयार हुआ पर एक तूर्कि मुस्लिम शहजादी से शादी नही की वही एक मुस्लिम शहजादी एक हिन्दू राजा के प्रेम मे इतनी कायल हुई कि उसके लिए अपनी जान तक दे दी।

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