सोमवार, 23 फ़रवरी 2015

झाला मानसिंह

श्री झाला मान सिंह जी और राजा मान सिंह, देल्वारा राज्य के तीसरे रजा थे और महाराणा प्रताप जी की सेना में एक अहम् सेनापति थे और उनके महत्वपूर्ण सम्बन्धी थे, उन्होंने भारत को मुघलो के चंगुल से छुड़ाते हुए असाधारण राजपुताना गौरव, बहादुरी और वीर

ता का अटूट प्रदर्शन किया था| १५७६(1576) में हल्दीघाटी की लड़ाई के दौरान महाराणा प्रताप जी को घायल और बेहोश देख कर झाला मान सिंह ने महारण का मुकुट और शाही प्रतीक चिन्ह पहन लिया और पूरी मुघलिया सेना को भ्रमित कर दिया, और पूरी सेना का प्रहार अपने उपर झेला| आखिर में महाराणा की जान बचाते हुए उन्होंने इस देश पर और अपनी मात्रभूमि पर १८ जून १५७६ (18 june 1576) अपने “प्राण न्योछावर” कर दिए| इन्ही के बलिदान के कारण महराना प्रताप स्वतंत्रता की लड़ाई जारी रख पाए| वर्तमान समय में झाला के वंशज आज भी महाराणा के द्वारा दिया गया शाही चिन्ह अपने काट पर पहनते हैं|
हम झाला मान सिंह की वीरता और बहादुरी को नमन करते हैं| सिर्फ राजपूत ही इस तरह की वीरता का प्रदर्शन कर सकते हैं|
पूरे राजपूत समाज को झाला मान सिंह जी पर गर्व है| हम भगवान् के शुक्र गुज़ार जो उन्होंने इस महान कुल में जन्म दिया| हमें गर्व है हमारे राजपूत होने पर| शायद ही संसार में कोई ऐसा कुल होगा जहा इतने महान लोगो ने जन्मा लिया हो|

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