श्री झाला मान सिंह जी और राजा मान सिंह, देल्वारा राज्य के तीसरे रजा थे और महाराणा प्रताप जी की सेना में एक अहम् सेनापति थे और उनके महत्वपूर्ण सम्बन्धी थे, उन्होंने भारत को मुघलो के चंगुल से छुड़ाते हुए असाधारण राजपुताना गौरव, बहादुरी और वीर
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ता का अटूट प्रदर्शन किया था| १५७६(1576) में हल्दीघाटी की लड़ाई के दौरान महाराणा प्रताप जी को घायल और बेहोश देख कर झाला मान सिंह ने महारण का मुकुट और शाही प्रतीक चिन्ह पहन लिया और पूरी मुघलिया सेना को भ्रमित कर दिया, और पूरी सेना का प्रहार अपने उपर झेला| आखिर में महाराणा की जान बचाते हुए उन्होंने इस देश पर और अपनी मात्रभूमि पर १८ जून १५७६ (18 june 1576) अपने “प्राण न्योछावर” कर दिए| इन्ही के बलिदान के कारण महराना प्रताप स्वतंत्रता की लड़ाई जारी रख पाए| वर्तमान समय में झाला के वंशज आज भी महाराणा के द्वारा दिया गया शाही चिन्ह अपने काट पर पहनते हैं|
हम झाला मान सिंह की वीरता और बहादुरी को नमन करते हैं| सिर्फ राजपूत ही इस तरह की वीरता का प्रदर्शन कर सकते हैं|
पूरे राजपूत समाज को झाला मान सिंह जी पर गर्व है| हम भगवान् के शुक्र गुज़ार जो उन्होंने इस महान कुल में जन्म दिया| हमें गर्व है हमारे राजपूत होने पर| शायद ही संसार में कोई ऐसा कुल होगा जहा इतने महान लोगो ने जन्मा लिया हो|
इस भारत भूमि पर कई वीर योद्धाओ ने जन्म लिया है। जिन्होंने अपने धर्म संस्कृति और वतन पर खुद को न्यौछावर कर दिया। सत् सत् नमन है इन वीर योद्धाओं को।
सोमवार, 23 फ़रवरी 2015
झाला मानसिंह
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Aap amer rhenge jhala ji
जवाब देंहटाएंjai jhala manna
जवाब देंहटाएंJhala man singh ji ka जन्म कब हुआ
जवाब देंहटाएं16 may
हटाएंशत शत नमन
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